बुरहानपुर

बुरहानपुर :चिड़ियों की चहचहाहट बनी रहे बच्चों ने उठाया संरक्षण का संकल्प

बुरहानपुर से एक प्रेरणादायक पहल, जो उम्मीद जगाती है

बुरहानपुर :चिड़ियों की चहचहाहट बनी रहे बच्चों ने उठाया संरक्षण का संकल्प

बुरहानपुर से एक प्रेरणादायक पहल, जो उम्मीद जगाती है

✍️ स्टाफ रिपोर्टर बुरहानपुर

मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले आधुनिकता की चकाचौंध में जहां लोग ऊंची-ऊंची इमारतों और पक्के मकानों की ओर बढ़ रहे हैं वहीं प्रकृति का एक अनमोल हिस्सा नन्ही चिड़ियों की चहचहाहट कहीं पीछे छूटती जा रही है कभी आंगनों खिड़कियों या घर की मुंडेरों पर सहजता से घोंसला बनाकर रहने वाली ये पक्षियां अब अपना आशियाना खोजने को तरस रही हैं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई और कंक्रीट के जंगलों ने इनके लिए जीना मुश्किल कर दिया है गर्मी की तपिश और छांव की कमी ने जैसे इनके जीवन से सुकून ही छीन लिया हो ।

लेकिन इसी संकट के दौर में बुरहानपुर के शासकीय जनजातीय बालक आश्रम अंग्रेजी माध्यम बहादरपुर के विद्यार्थियों ने एक उम्मीद जगाई है आश्रम अधीक्षक सुरेश कराडा, सीमा बिरला, प्रधान पाठक मनीषा बिडियारे, शिक्षिका नीता मोदी एवं हेमलता दीवाने के मार्गदर्शन में बच्चों ने पक्षियों के लिए कृत्रिम घोंसले बनाना सीखा और यह मुहिम शुरू की कि हर पेड़ और हर कोने में एक सुरक्षित आशियाना हो

इन घोंसलों को केले के जड़ों के रेशों से बनाया जा रहा है जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल है बल्कि चिड़ियों को भी बहुत पसंद आता है इन रेशों को पहले अच्छी तरह साफ किया जाता है फिर बैलून की मदद से आकार देकर फेविकोल से उन्हें चिपकाया जाता है जब रेशा सख्त हो जाता है तो बैलून को निकाल लिया जाता है और एक सुंदर सुरक्षित घोंसला तैयार हो जाता है

बच्चों ने ये घोंसले पेड़ों पर घरों के कोनों में और सार्वजनिक स्थलों पर लगाए हैं इतना ही नहीं वे पास में पानी का पात्र भी रखते हैं ताकि गर्मी में चिड़ियों को प्यास से राहत मिल सके आश्रम के भीतर और बाहर बने इन घोंसलों में अब चिड़ियों ने अपने अंडे देना शुरू कर दिया है बच्चे निकल चुके हैं और उनके कोमल पंखों की फड़फड़ाहट और चहचहाहट ने हॉस्टल को जीवंत कर दिया है

यह दृश्य न केवल आंखों को सुकून देता है, बल्कि दिल को भी छू जाता है जब नन्हे हाथों से बनाए गए घोंसलों में नन्ही जानें सांस लेती हैं तो यह केवल एक संरक्षण नहीं बल्कि एक स्नेहभरा संवाद होता है इंसान और प्रकृति के बीच

यह पहल एक उदाहरण है कि अगर नीयत साफ हो और सोच संवेदनशील तो बदलाव संभव है चिड़ियों की यह चहचहाहट हमें याद दिलाती है कि जीवन सिर्फ हमारे लिए नहीं बल्कि उन सभी के लिए है जिनके बिना ये धरती अधूरी है

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